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बंगला नम्बर 2017 पार्ट 2

"देखो, शंकर भैया, मैं स्पष्ट बातें करता हूं, मुझे 25 लाख में इसी साइज में फ्लैट चाहिए, अगर हो तो बताना, अब चलता हूं"!

राम अपने मैनेजर के साथ वहां से जाने लगता है, तभी दलाल के पास फोन आता है -"कैसे हो शंकर भाई"? "रोज, न्यू अपार्टमेंट, में फ्लैट बिकवा रहे हो, मेरे "बंग्ला नंबर 217" का भी सौदा करा दो"!

"मणि भाई, तुम्हारे "बंग्ला नंबर 217" को कोई, फ्री में भी खरीदना नहीं चाहता है, जितने भी कस्टमर को दिखाया, सभी कुछ ना कुछ बहाना करके भाग गए, कोई कहता है वहां भूत है, कोई कहता है चुड़ैल है, कोई कहता है बुरी आत्मा का साया है, कोई भी फैमिली वहां एक दिन से ज्यादा नहीं टिक पाई"! शंकर दलाल ने कहा

"अरे शंकर भाई, तुम्हारे लिए कौन सा बड़ा काम है, कुछ भी करके, मुझे बस 25 लाख रुपए दिलवा दो, एक करोड़ का बंगला है, तुम्हें कमीशन भी तगड़ा दूंगा, बस कुछ भी करके मेरा बंग्ला बिकवा दो"! बंग्ला मालीक मणि ने कहा

"ठीक है, मैं कुछ करता हूं"! यह कहकर शंकर दलाल फोन काटता है

और राम को आवाज देकर बुलाता है -"शर्मा जी"! "इधर आइए"!

राम अपने मैनेजर के साथ वापस आता है, तो वह दलाल उन्हें बिठाकर कहता है -"शर्मा जी, आप घर जैसे व्यक्ति हो, इसलिए इस अपार्टमेंट में आपको 30 लाख रुपए में फ्लैट तो नहीं मिल पाएगा, पर हां, आपको 30 लाख रुपए में, यही से आधा किलोमीटर दूर, एक बंगला मिल सकता है पर एक दिक्कत है"!

"क्या"? "पानी नहीं आता"! मैनेजर ने पूछा

"नहीं, पानी, बिजली सारी व्यवस्था है पर किसी ने अफवाह फैला रखी है कि वहां आत्मा का साया है"! दलाल ने बताया

"अरे, मेरे सर, भगवान से नहीं डरते तो भूत, चुड़ैल, आत्मा से क्या डरेंगे, आप बंगला दिखाओ"!

फिर वह तीनों "बांग्ला नंबर 217" पर आते हैं, दलाल जब बंगले का ताला खोलता है तो न जाने कैसे उसकी उंगली पर चोट लग जाती है और चाबी और ताले पर खून लग जाता है

यह देखकर मैनेजर कहता है -"ताला खोलने में चोट लग गई, यहां जरूर कोई खून की शौकीन चुड़ैल रहती है"!

राम, मैनेजर को आंखें दिखाता है ओर दरवाजा खोलता है और अकस्मात अंदर जाकर, खिड़कियों से बहकर आ रही हवाओं को, अपनी नासिका पुटो में भरकर, गहरी सांस लेता है और आंखें बंद कर, दो बार गोल-गोल घूमता है, उसे ऐसा लगता है, जैसे - उसका वहां कोई है और आज उसी से मिलकर वह झूम उठा है

पर जब अगले ही क्षण उसे स्मरण होता है तो वह पहले की तरह नॉर्मल हो जाता है

राम की यह हरकत देखकर दलाल पूछता है -"कहां खो गए शर्मा जी"?

"कहीं नहीं, मुझे यह पूरा बंगला दिखाओ"? राम ने कहा

फिर दलाल पूरे बंगले का दर्शन कराता है

"मैनेजर साहब, आपको कैसा लगा "बांग्ला नंबर 217"? दलाल ने पूछा

"अरे, इस बंगले के मेरे सर, 30 लाख नहीं, 35 लाख देंगे"! मैनेजर ने कहा

राम ने मैनेजर को फिर आंखें दिखाई और कहा -"शंकर भाई, मुझे यह बंगला पसंद है पर मेरी एक शर्त है, कागजी कार्रवाई मेरे हिसाब से होगी और मैं इस बंगले के 30 लाख नहीं, 25 लाख ही दूंगा, क्योंकि ताला खोलने में किसी के हाथ में चोट नहीं लगती, इसलिए यह बात तो मानना ही पड़ेगी कि यहां किसी आत्मा का साया है, इसलिए मैं पहले, एक हफ्ते यहां पर रहूंगा, अगर मुझे सब कुछ ठीक लगा तो ही यह बंगला खरीदुंगा"! राम ने स्पष्ट कहा

"अरे, शर्मा जी, आप इतने पढ़े लिखे होकर, अंधविश्वास की बातें करते हो, हो,, ,,आ,,,,,,,

दलाल ने एक क्षण के लिए, सामने लगे दर्पण में, किसी खुले बाल वाली, भयानक लड़की को देखा और वह सहम कर चिल्लाया

"क्या हुआ"? राम ने पूछा

"मंजूर है, मंजूर है  आपकी हर शर्त मंजूर है, आज से यह बंगला आपका, अब जल्द से जल्द पेमेंट की व्यवस्था करो, चलो, अब चलते हैं, मुझे अचानक, मेरी नानी याद आ गई"! दलाल ने कमरे से बाहर जाते हुए कहा

दलाल के जाने के बाद मैनेजर कहता है -"अरे वाह सर, मान गए, आपको, आपने एक करोड़ के बंगले का सोदा 25 लाख में कर दिया"!

फिर राम ताले को देखकर आश्चर्य से पूछता है -"इस ताले पर खून लगा था, वह किसने साफ किया"!

"दलाल ने किया होगा"! मैनेजर ने अंदाजे से कहा

राम, ताला लगाकर अपने मैनेजर के साथ बाहर गार्डन में आता है, जहां व्यथित, शंकर दलाल खड़ा है, राम उसे चाबी देता है, तो वह कहता है -"आज से यह चाबी और यह बंगला आपका, आपको एक हफ्ते के अंदर-अंदर इसका पेमेंट करना है"!

"ठीक है, मुझे मंजूर है"! राम ने चाबी जेब में रखते हुए कहा

फिर राम, अपने मैनेजर के साथ घर आता है, घर आते ही राम की पत्नी उसकी आरती उतारती है फिर राम घर के भीतर आता है और अपनी पत्नी से कहता है -"अपनी आंखें बंद करो और हाथ आगे लाओ"!

राम की पत्नी आंखें बंद करती है और अपने हाथ आगे करती है, तब राम उसके हाथ में "बांग्ला नंबर 217" की चाबी रखता है और कहता है -"आज मैंने, अपने सपनों के महल का सौदा कर लिया है, यह सब तुम्हारे, सच्चे प्यार की बदौलत हो पाया है, इसीलिए अपनी आंखें खोलो और अपने सपनों के महल की चाबी देखो"!

जैसे ही राम की पत्नी, आंखें खोलती है और चाबी को देखकर घबरा जाती है और उसे "नहीं चाहिए" कह कर फेंक देती है!

"आखिर क्या रहस्य है, "बंगला नंबर 217 का"?

"आखिर क्यों "बंग्ला नंबर 217" का मालिक उसे 25 लाख में बेचना चाहता है"?

"दलाल शंकर ने दर्पण में डरावनी आत्मा को देखा था या वह उसका वहम था"?

"राम की पत्नी ने "बंग्ला नंबर 217" की चाबी देखते ही क्यों फेंक दी"?

जानने के लिए पढ़ते रहिए "बंग्ला नंबर 217"

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